हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार में हर की पौड़ी क्षेत्र में बहने वाली गंगा की धारा को एस्केप चैनल वाले शासनादेश का मुद्दा एक बार फिर से गरमा गया है। एस्केप चैनल का ये शासनादेश रद्द ना करना उत्तराखंड सरकार के लिए बड़ी परेशानी बन सकता है। कई अन्य संस्थाओं के बाद एक बार फिर से हर की पौड़ी की प्रबंधकारिणी संस्था श्री गंगा सभा के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से एस्केप चैनल वाला शासनादेश रद्द करने की माँग की है।
हर की पौड़ी पर श्री गँगा सभा के कार्यालय में प्रेस वार्ता कर उन्होंने साल 2016 में तत्कालीन प्रमुख सचिव द्वारा आवास सचिव को लिखा पत्र भी दिखाया जिसमे जिसमे इस धारा को गँगा बताया गया है। श्री गँगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि लंबे समय से सरकार से शासनादेश रद्द करने की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक उन्हें सिर्फ़ आश्वासन ही मिले हैं। सरकार को एक बार फिर से ज्ञापन भेजा गया है अगर सरकार इस शासनादेश को रद्द नहीं करती तो श्री गंगा सभा, साधु संतो के साथ ही अन्य सामाजिक और धार्मिक संस्थाओ के साथ मिलकर अपने इस विरोध को तेज करेंगे। तन्मय वशिष्ठ ने साफ़ तौर से कहा यदि सरकार उनकी इस मांग को नहीं मानती तो वो इस लड़ाई को न्यायलय तक भी ले जायेंगे।
वही श्री गँगा सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा ने बताया कि साल 2016 से लेकर अब तक श्री गँगा सभा के पदाधिकारी सरकार ये इस शासनादेश को रद्द करने की माँग करते चले आ रहे है लेकिन सभी जानते है कि सरकार पर कुछ भूमाफियाओ का दबाव है जिसके चलते सरकार इस शासनादेश को रद्द नहीं कर रही है।
आपको बता दें कि साल 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने हर की पौड़ी पर बहने वाली गंगा की धारा को एक शासनादेश में एस्केप चैनल यानी नहर घोषित किया था। तभी से कई धार्मिक और तीर्थ पुरोहितों के संगठन इस शासनादेश को रद्द करने की मांग करते चले आ रहे हैं। त्रिवेंद्र सरकार आने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि अब यह शासनादेश रद्द होगा, लेकिन साढे 3 साल से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद अभी तक सरकार ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया है। जिसके चलते श्री गंगा सभा एक बार फिर से मुखर हो गई है।